चारधाम यात्रा के लिए एक लाख से अधिक तीर्थयात्रियों का हुआ ऑनलाइन पंजीकरण
देहरादून, 23 अप्रैल प्रदेश में तीन मई से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण ने रफ्तार पकड़ ली है।
देहरादून, 23 अप्रैल ( प्रदेश में तीन मई से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण ने
रफ्तार पकड़ ली है। अब तक एक लाख से अधिक तीर्थयात्री ऑनलाइन पंजीकरण करा चुके हैं। इसमें केदारनाथ
धाम के दर्शन के लिए सबसे अधिक यात्रियों ने पंजीकरण कराया है।
इस बार चारधाम यात्रा में भारी संख्या में तीर्थ यात्रियों के आने की उम्मीद है। तीन मई को अक्षया तृतीया के दिन
गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट खुल रहे हैं। जबकि 6 मई को केदारनाथ और 8 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट
खुलेंगे। पर्यटन विभाग ने चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पंजीकरण की
व्यवस्था अनिवार्य की है।
बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम की यात्रा करने के लिए तीर्थयात्री और श्रद्धालु पर्यटन विभाग की
वेबसाइट रजिस्ट्रेशनएंडटूरिस्टकेअरडॉट यूकेडॉटजीओवीडॉटइन पर ऑनलाइन पंजीकरण कर रहे हैं। इस बार पंजीकरण
के साथ ही यात्री को क्यूआर कोड भी जारी किया जा रहा है।
क्यूआर कोड दिए जाने के फायदे
यात्रियों को क्यूआर कोड जारी होने से न केवल यह पता लग सकेगा कि पंजीकरण करने वाले यात्री ने दर्शन किए
हैं या नहीं, बल्कि तीर्थयात्रियों और उनके वाहनों को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। क्यूआर कोड यात्रियों को
दिए जाने वाले रिस्ट बैंड में रहेगा।
जिसे प्रत्येक धाम में स्कैन किया जाएगा। इससे पर्यटन विभाग को यह पता
रहेगा कि कौन सा यात्री कहां पर है। पर्यटन विभाग के अनुसार चारधाम यात्रा में तीन से 31 मई तक के लिए एक
लाख से अधिक यात्रियों ने पंजीकरण किया है। जिसमें यमुनोत्री धाम के लिए 15829, गंगोत्री धाम के लिए
16804, केदारनाथ धाम के लिए 41107 और बदरीनाथ धाम के लिए 29488 ने पंजीकरण कराया है।
ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण की व्यवस्था
पर्यटन सचिव के अनुसार दिलीप जावलकर, कोविड महामारी से स्थिति सामान्य होने के बाद इस बार बड़ी संख्या
में तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद है। यात्रा में आने वाले यात्रियों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण की
व्यवस्था की गई है। पंजीकरण करने वाले तीर्थयात्रियों का डाटा संबंधित जिलों के डीएम व एसएसपी के साथ साझा
किया जा रहा है। इससे स्थानीय प्रशासन को इस बात की जानकारी रहेगी कि किस दिन कितने तीर्थयात्री वहां
पहुंच रहे हैं। इससे उन्हें स्थानीय स्तर पर व्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी और तीर्थयात्री भी बिना किसी परेशानी
के मंदिरों में दर्शन कर सकेंगे।