टैगोर की प्रसिद्ध कृति ‘गीताजंलि’ के नाम से जाना जायेगा विश्व भारती विवि

नैनीताल, 08 मई । नोबेल पुरस्कार प्राप्त गुरू रवीन्द्रनाथ टैगोर की कर्मस्थली रामगढ़ में जल्द ही विश्व भारती केन्द्रीय विश्वविद्यालय का परिसर स्थापित किया जायेगा।

टैगोर की प्रसिद्ध कृति ‘गीताजंलि’ के नाम से जाना जायेगा विश्व भारती विवि

नैनीताल, 08 मई (। नोबेल पुरस्कार प्राप्त गुरू रवीन्द्रनाथ टैगोर की कर्मस्थली रामगढ़ में जल्द ही विश्व
भारती केन्द्रीय विश्वविद्यालय का परिसर स्थापित किया जायेगा। रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा


विवि के परिसर की भूमि का पूजन किया गया। विवि के इस परिसर को गुरू रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कृति
गीतांजलि के नाम से जाना जायेगा। माना जाता है

कि साहित्य व फलों की पट्टी के लिये प्रसिद्ध खूबसूरत
रामगढ़ में गुरू रवीन्द्र नाथ टैगोर पहली बार वर्ष 1901 में पधारे और वर्ष 1937 के बीच पांच बार आये।

हिमालय
की गोद में बसे रामगढ़ कस्बे में वह अपने मित्र व स्वीडन निवासी डेनिलय के घर पर रूकते थे।

यह भी मान्यता
है कि ऐतिहासकि कृति गीताजंलि के कई अंशों की रचना उन्होंने इसी भूमि में की। जिसमें उनकी प्रमुख शिशु

नामक कविता भी शामिल है। आज भी रामगढ़ की एक पहाड़ी को गुरू रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाम से जाना जाता है
और इसी टैगोर टाप पर गुरूजी की एक कुटिया थी

जिसके अंश खंडहर के रूप में आज भी मौजूद हैं। बताया जाता
है कि पुत्री व पत्नी के देहांत के बाद टैगौर यहां नहीं आये। उनकी स्मृति को संजोने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी


ने यहां टैगोर के नाम से एक विश्वविद्यालय स्थापित करने की योजना बनायी। साथ ही पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री
रमेश पोखरियाल निशंक ने रामगढ़ में विश्व भारती केन्द्रीय विवि के परिसर बनाये जाने की घोषणा की। इसके बाद


प्रदेश सरकार की ओर से विवि परिसर के लिये 45 एकड़ भूमि प्रदान की गयी। शांति निकेतन ट्रस्ट फार हिमालया
के सचिव अतुल जोशी ने बताया कि केन्द्र सरकार की ओर से विवि के परिसर के लिये पहले चरण में 150 करोड़


की धनराशि स्वीकृत कर दी गयी है। ट्रस्टी सुरेश डालाकोटि ने बताया कि जल्द ही विवि के इस परिसर निर्माण का
काम शुरू कर दिया जायेगा।

इस परिसर में स्कूल आफ हिमालया डेवलपमेंट, स्कूल आफ रूरल डेवलपमेंट, सेंटर
फार गुड गवर्नेंस के साथ ही अर्थशास्त्र,

समाजशास्त्र, राजनितिक शास्त्र व अन्य विषयों की स्नातकोत्तर कक्षायें
संचालित की जायेंगी।

जन्मोत्सव के पहले दिन मुख्यमंत्री धामी ने विवि परिसर का भूमि पूजन करते हुए कहा कि
उत्तराखंड की केन्द्रीय विश्वविद्यालय परिसर को पहाड़ी शैली में विकसित किया जायेगा और इसे गीतांजलि के नाम
से जाना जायेगा।