दहेज प्रताड़ना के मामले में चार साल बाद दोबारा सुनवाई के आदेश

नई दिल्ली, 01 अक्टूबर । दहेज प्रताड़ना के एक मुकदमे में सत्र अदालत ने चार साल बाद दोबारा सुनवाई करने के आदेश मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत को दिए हैं।

दहेज प्रताड़ना के मामले में चार साल बाद दोबारा सुनवाई के आदेश

नई दिल्ली, 01 अक्टूबर । दहेज प्रताड़ना के एक मुकदमे में सत्र अदालत ने चार साल बाद
दोबारा सुनवाई करने के आदेश मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत को दिए हैं। अदालत ने कहा कि


इस मामले में सुनवाई के दौरान कुछ अहम गवाहों के बयान दर्ज होने बाकी रह गए थे, उनकी गवाही
के लिए मामले में दोबारा सुनवाई करने के निर्देश दिए जा रहे हैं।

इस मामले के आरोपियों को
अदालत ने वर्ष 2018 में बरी कर दिया था।


तीस हजारी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नेहा पालीवाल शर्मा की अदालत ने इस मामले में
पीड़िता की याचिका पर यह आदेश दिया है। पीड़िता ने अपने पति व ससुरालवालों के खिलाफ दहेज


प्रताड़ना का मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन निचली अदालत ने आरोपी पति व अन्य लोगों को बरी
कर दिया था। पीड़िता का कहना है कि पति द्वारा उसकी पिटाई की गई थी। पुलिस ने उसकी


चिकित्सा जांच भी कराई थी। लेकिन जब इस मामले की सुनवाई शुरु हुई तो पीड़िता की चिकित्सा
जांच करने वाले डॉक्टर को बतौर गवाह बुलाया ही नहीं गया। जबकि डॉक्टर की गवाही महत्वपूर्ण


थी। डॉक्टर ही बता सकता था कि पीड़िता के शरीर पर कितने गहरे और किस तरह के जख्म थे।


सत्र अदालत ने पीड़िता की दलील को स्वीकार करते हुए निचली अदालत को दोबारा मुकदे की
सुनवाई के निर्देश दिए हैं।