भगवान हनुमान की प्रतिमा की स्थापना ;एक भारत श्रेष्ठ भारत; के संकल्प की पूर्ति : प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली, 16 अप्रैल (। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘हनुमान जयंती’ के अवसर पर गुजरात के मोरबी में भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची प्रतिमा की स्थापना को ;एक भारत श्रेष्ठ भारत; के संकल्प की पूर्ति बताया है।
नई दिल्ली, 16 अप्रैल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘हनुमान जयंती’ के अवसर पर गुजरात के मोरबी में
भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची प्रतिमा की स्थापना को ;एक भारत श्रेष्ठ भारत; के संकल्प की पूर्ति बताया है।
उन्होंने कहा कि रामकथाएं भारतीय आस्था, आध्यात्मिकता, संस्कृति, परंपरा को मजबूत करती हैं।
प्रधानमंत्री ने शनिवार को गुजरात के मोरबी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भगवान हनुमान की 108 फीट
ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि ये देश और दुनियाभर के
हनुमान भक्तों के लिए बहुत सुखदायी है। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह केवल हनुमान जी की प्रतिमाओं की स्थापना का
संकल्प नहीं है, बल्कि 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' के संकल्प का भी एक हिस्सा है।”
उन्होंने कहा कि हनुमानजी चार धाम परियोजना के तहत देश भर में चार दिशाओं में स्थापित की जा रही चार
मूर्तियों में से यह दूसरी प्रतिमा है। उन्होंने कहा कि हम वर्षों से शिमला में ऐसी ही भव्य हनुमान प्रतिमा देख रहे
हैं। दूसरी प्रतिमा को आज मोरबी में स्थापित किया गया है।
उन्होंने कहा कि रामेश्वरम और पश्चिम बंगाल में दो
और मूर्तियां स्थापित की जाएंगी।
प्रधानमंत्री ने हनुमान जयंती पर वनवासियों की बेहतरी का श्रेय भगवान हनुमान को दिया। उन्होंने कहा कि हनुमान
जी अपनी भक्ति से, अपने सेवाभाव से सबको जोड़ते हैं।
हर कोई हनुमान जी से प्रेरणा पाता है। हनुमान वो शक्ति
और संबल हैं
जिन्होंने समस्त वनवासी प्रजातियों और वन बंधुओं को मान और सम्मान का अधिकार दिलाया।
इसलिए एक भारत, श्रेष्ठ भारत के भी हनुमान जी एक अहम सूत्र हैं।
उन्होंने कहा कि रामकथा का आयोजन भी देश के अलग-अलग हिस्सों में किया जाता है। भाषा-बोली जो भी हो,
लेकिन रामकथा की भावना सभी को जोड़ती है, प्रभु भक्ति के साथ एकाकार करती है।
यही तो भारतीय आस्था की,
हमारे आध्यात्म की, हमारी संस्कृति, हमारी परंपरा की ताकत है।
उन्होंने कहा कि इसने गुलामी के मुश्किल
कालखंड में भी अलग-अलग हिस्सों और अलग अलग वर्गों को जोड़ा, आजादी के राष्ट्रीय संकल्प के लिए एकजुट
प्रयासों को सशक्त किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हजारों वर्षों से बदलती स्थितियों के बावजूद भारत के अटल और अडिग रहने में हमारी
सभ्यता और संस्कृति की बड़ी भूमिका रही है।
हमारी आस्था और संस्कृति की धारा सद्भाव, समावेश, समभाव की
है।
इसलिए जब बुराई पर अच्छाई को स्थापित करने की बात आई तो प्रभु राम ने सक्षम होते हुए भी, सबका साथ
लेने का, सबको जोड़ने का, समाज के हर तबके के लोगों को जोड़ने का और सबको जोड़कर उन्होंने इस काम को
संपन्न किया। यह सबका साथ-सबका प्रयास ही है।
उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका प्रयास का उत्तम प्रमाण प्रभु राम की जीवनलीला भी है। इसके हनुमानजी बहुत
अहम सूत्र रहे हैं।
सबका प्रयास की इसी भावना से आजादी के अमृत काल को हमें उज्ज्वल करना है, राष्ट्रीय
संकल्पों की सिद्धि के लिए जुटना है।