महिला सशक्तिकरण की राह में बाधाओं को समाप्त करने की आवश्यकता : कोविंद
नई दिल्ली, 18 अप्रैल (। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महिला सशक्तिकरण की राह में बाधाओं को समाप्त करने की आवश्यकता पर बल देते हुए
नई दिल्ली, 18 अप्रैल ( राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महिला सशक्तिकरण की राह में बाधाओं को
समाप्त करने की आवश्यकता पर बल देते हुए सोमवार को कहा कि हिंसा और भेदभाव के उन सारे ढांचों को
समाप्त करने की जरूरत है जो महिलाओं की प्रगति को बाधित करते हैं। श्री कोविंद ने यहां प्रबुद्ध एवं प्रभावी
लोगों की संस्था इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईसीसी) की हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि
महिलाओं के लिए प्रगति के अवसरों के सभी मार्ग खुले होने चाहिए ताकि वे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी संभावनाओं
का पूरा उपयोग कर सकें।
उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र के स्वस्थ विकास के लक्ष्यों में पांचवां लक्ष्य स्त्री-पुरुष समानता तथा महिलाओं एवं
बालिकाओं को अधिकार संपन्न बनाने का है। हमें हिंसा और भेदभाव के उन सरंचनाओं को समाप्त करने की
जरूरत है, जो महिलाओं की प्रगति में बाधा डालती हैं। हमें महिलाओं के लिए अवसरों के सभी रास्ते खुले रखने
चाहिए ताकि वे विविध क्षेत्रों में अपनी संभावनाओं का उपयोग कर सकें।” उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के
असंगठित क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बहुत उंची है। आवश्यकता है कि संगठित आर्थिक क्षेत्र भी महिलाकर्मियों
के सशक्तिकरण के मामले में और बढ़-चढ़कर कदम उठाए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को एसटीईएमएम के नाम
से जाने जानेवाले विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजिनियरिंग, गणित और प्रबंध विज्ञान की विधाओं में भागीदारी बढ़ाने के
लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे राष्ट्रीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था को उनकी प्रतिभा और समस्याओं का
सामना करने के रचनात्मक तरीकों का लाभ मिलेगा।”
आईसीसी के हीरक जयंती कार्यक्रम का मुख्य विषय महिलाओं का सशक्तिकरण रखे जाने के संदर्भ में श्री कोविंद
ने कहा, “देश इस समय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। हमें इस अवसर पर विभिन्न महिलाओं की
उपलब्धियों को उजागर करना चाहिए और उन विधिक एवं समाजिक कदमों का प्रचार करना चाहिए जो समाज में
परिवर्तन के लिए उठाए गए हैं। ” उन्होंने कहा कि आजादी के पहले और आजादी के बाद भी ऐसे अनेक उदाहरण है
जहां महिलाओं ने उन क्षेत्रों में अपना शीर्ष स्थानों पर जगह बनायी जहां पुरुषों का एक अधिकार था। कोरोना
योद्धाओं में बहुत सी महिलाएं शामिल रही, जिन्होंने असाधारण संघर्ष क्षमता का परिचय देते हुए अपने जीवन को
संकट में डालकर सेवा-शुश्रूषा के जरिए साथी नागरिकों की रक्षा करने में महती योगदान दिया।
श्री कोविंद ने कहा कि उनकी इच्छा है भारत में आईआईसी जैसी सैकड़ों की संख्या में संस्थाएं विभिन्न जगहों पर
होनी चाहिए ताकि संवाद और चर्चा का स्तर ऊंचा उठाया जा सके। उन्होंने कहा कि भारत में वाद-विवाद और संवाद
की परंपरा बड़ी व्यापक है। आज जरूरत है कि हम अपनी समृद्ध विरासत से फिर जुड़े। उन्होंने कहा कि भारत का
प्राचीन दर्शन दुनिया में कहीं भी फिलोसफी (दर्शन) के क्षेत्र में किए जाने वाले किसी भी काम से बहुत सुक्ष्म और
सशक्त है।
उन्होंने कहा कि लोगों विशेषकर युवा पीढ़ी को ना केवल तथ्य के हिसाब से अधिक ज्ञान प्राप्त करना
चाहिए बल्कि उन्हें अलोचनात्मक सोच की दृष्टि से उपयोगी उन साधनों का भी ज्ञान अर्जित करना चाहिए जो
सत्य तक पहुंचने में सहायक हों।