लड़कों को महिलाओं के साथ व्यवहार के बारे में सीख प्राथमिक वर्ग से दी जानी चाहिए

कोच्चि, 21 जनवरी केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि लड़कों को सिखाया जाना चाहिए कि उन्हें किसी लड़की या महिला को उसकी बिना मर्जी के नहीं छूना चाहिए और यह सीख उन्हें स्कूल और परिवारों में दी जानी चाहिए।

लड़कों को महिलाओं के साथ व्यवहार के बारे में सीख प्राथमिक वर्ग से दी जानी चाहिए

कोच्चि, 21 जनवरी (केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि लड़कों को सिखाया जाना
चाहिए कि उन्हें किसी लड़की या महिला को उसकी बिना मर्जी के नहीं छूना चाहिए और यह सीख


उन्हें स्कूल और परिवारों में दी जानी चाहिए। अदालत ने समाज में यौन उत्पीड़न के मामलों में
वृद्धि का उल्लेख करते हुए

कहा कि अच्छे व्यवहार और शिष्टाचार संबंधी पाठ कम से कम प्राथमिक
स्तर से पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए।


उच्च न्यायालय ने कहा कि लड़कों को यह समझना चाहिए कि ‘‘नहीं’’ का मतलब ‘‘नहीं’’ होता है।
उसने समाज से आग्रह किया

कि वह लड़कों को स्वार्थी और आत्मकेंद्रित होने के बजाय उन्हें
नि:स्वार्थ और सज्जन बनना सिखाएं।


न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने उत्पीड़न के एक मामले में एक कॉलेज की आंतरिक शिकायत समिति के
आदेश और कॉलेज के प्राचार्य द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली एक अर्जी पर विचार करते


हुए कहा कि एक महिला के प्रति सम्मान प्रदर्शित करना पुराने जमाने का रुख नहीं, बल्कि हमेशा
बरकरार रहने वाला सदाचार है।


न्यायाधीश ने 18 जनवरी को सुनाए गए आदेश में कहा, ‘‘लड़कों को पता होना चाहिए कि उन्हें


किसी लड़की/महिला को उसकी स्पष्ट सहमति के बिना नहीं छूना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि
‘‘ना’’ का मतलब ‘‘ना’’ होता है।’’