कांवड़ियों की मदद के आदेश का प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों ने किया विरोध
लखीमपुर खीरी (उप्र), 20 जुलाई ( उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी जिले के गोला इलाके में दर्जन भर प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों ने हर सोमवार को ऐतिहासिक शिव मंदिर पहुंचकर कांवड़ियों की मदद करने के आदेश का यह कहते हुए विरोध किया हैं
लखीमपुर खीरी (उप्र), 20 जुलाई उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी जिले के गोला इलाके में दर्जन भर
प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों ने हर सोमवार को ऐतिहासिक शिव मंदिर पहुंचकर कांवड़ियों की मदद करने के आदेश
का यह कहते हुए विरोध किया हैं कि उन्होंने पहले कभी इस तरह के गैर-शैक्षणिक कार्य नहीं किए हैं।
बहरहाल, अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश अनिवार्य नहीं है,
बल्कि जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की
भारी भीड़ को संभालने में प्रशासन की मदद करने के लिए एक सुझाव मात्र है।
खीरी के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) डॉ. लक्ष्मीकांत पांडेय का 15 जुलाई को जारी आदेश भी 17 जुलाई को
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिससे मामला और उलझ गया।
उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला महासचिव मनोज कुमार शुक्ला ने बताया कि आदेश के सोशल मीडिया पर
वायरल होने के बाद, गोला के कई शिक्षकों ने इसका विरोध किया।
उन्होंने कहा, ‘शिक्षकों की आपत्ति थी कि आदेश का पालन कैसे किया जाए, क्योंकि वे इस तरह के गैर-शैक्षणिक
कार्यों में पहले कभी नहीं लगे थे। तब हमने खीरी के बेसिक शिक्षा अधिकारी से बात की।’
शुक्ला ने बताया, ‘‘बेसिक शिक्षा अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि शिक्षकों को यह आदेश भीड़ को संभालने में
प्रशासन की मदद के लिए स्वैच्छिक सहयोग का एक सुझाव था। श्रावण मास के सोमवार को कांवड़ियों की भारी
भीड़ रहती है और इस दौरान स्कूलों को भी बंद रखा जाता है।’’
डॉ. पांडेय ने भी बताया, ”श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव के भक्तों की भारी भीड़ के प्रबंधन में
जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए सद्भावनापूर्वक आदेश जारी किया गया है।”
गोला गोकर्णनाथ, जिला मुख्यालय से 32 किमी पश्चिम में स्थित एक शहर है जिसे ‘छोटी काशी’ कहा जाता है।
यहां श्रावण मास के दौरान हर सोमवार को विभिन्न जिलों और कस्बों से श्रद्धालु ऐतिहासिक शिव मंदिर में पूजा
और जलाभिषेक करने आते हैं।
पांडे ने कहा, ‘भक्तों की भारी भीड़ के प्रबंधन में केवल जिले के अधिकारियों की सहायता के लिए, 10 प्राथमिक
बेसिक स्कूल के शिक्षकों को स्वयंसेवा के लिए कहा गया था कि वे दूरदराज के इलाकों से आने वाले ‘कांवड़ियों’ को
शहर के मार्ग के अनुसार मंदिर तक पहुंचने में मदद करें। यह अनिवार्य आदेश नहीं था और यह बात गोला प्रखंड
शिक्षा अधिकारी, शिक्षकों और उनके प्रतिनिधियों को बताई गई थी।’