पूजा-अर्चना के साथ शुरू हुआ सिंधी समाज का जनेऊ संस्कार सम्मेलन

भोपाल, 18 जून सिंधी समाज इस वर्ष भी सामूहिक जनेऊ संस्कार सम्मेलन आयोजित कर रहा है। ग्राम बेहटा स्थित स्वामी टेंऊराम आश्रम में रविवार सुबह करीब दस बजे सिंधी समाज के प्रमुख धार्मिक गुरू साई संजय मसंद के सान्निध्य में जनेऊ संस्कार सम्मेलन शुरू हुआ।

पूजा-अर्चना के साथ शुरू हुआ सिंधी समाज का जनेऊ संस्कार सम्मेलन

भोपाल, 18 जून सिंधी समाज इस वर्ष भी सामूहिक जनेऊ संस्कार सम्मेलन आयोजित कर
रहा है। ग्राम बेहटा स्थित स्वामी टेंऊराम आश्रम में रविवार सुबह करीब दस बजे सिंधी समाज के प्रमुख


धार्मिक गुरू साई संजय मसंद के सान्निध्य में जनेऊ संस्कार सम्मेलन शुरू हुआ। यहां 51 बालकों को
जनेऊ का पवित्र धागा वैदिक रीति से पहनाया जा रहा है।


जनेऊ संस्कार सम्मेलन का आयोजन संत बाबा सुखरामदास मसंद सेवा ट्रस्ट एवं सुखझील दरबार
समिति ने किया है। आश्रम में बहिराणा पूजन किया जा रहा है। प्रमुख ज्योतिर्विद् पं. जय कुमार शर्मा


वैदिक रीति से जनेऊ संस्कार की रस्म अदा कराएंगे। फिजूलखर्ची रोकने के उद्देश्य से ट्रस्ट ने यह पहल
की है। आमतौर पर समाज के बड़े परिवार बालकों के जनेऊ संस्कार के लिए भव्य आयोजन करते हैं,


इसमें बड़ी राशि खर्च होती है। सामूहिक आयोजन से समाज के गरीब एवं मध्यम वर्ग को बिना किसी
खर्च के रस्म अदा करने की सुविधा मिलती है। इस दौरान उन्हें जरूरी सामग्री भी उपलब्ध कराई


जाएगी। सम्मेलन में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में बालकों के स्वजन एवं शुभचिंतक पहुंचे हैं।
फिजूलखर्ची रोकना मुख्य उद्देश्य


मांगलिक आयोजन में फिजूलखर्ची रोकने के उद्देश्य से ऐसे आयोजन की शुरूआत की गई है। जनेऊ या
उपनयन संस्कार को हिंदू सनातन संस्कृति के 24 संस्कारों में से एक माना गया है। समाज की नई पीढ़ी


को इसके बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। पूज्य सिंधी पंचायत के महासचिव माधु चांदवानी का कहना
है किसिंधी समाज में विवाह से पहले जनेऊ संस्कार देने की व्यवस्था है। आमतौर पर लोग विवाह से

कुछ समय पहले ही यह रस्म अदा करते हैं लेकिन इससे नई पीढ़ी को इसके महत्व की जानकारी नहीं
मिल पाती। संस्कार सम्मेलन में संत, महात्मा एवं विद्वतजन बच्चों को सनातन एवं संस्कारों के बारे में


बताते हैं। इससे उनका ज्ञान बढ़ता है, साथ ही संस्कृति को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।