कोयला खदानें लौटाने के लिए सार्वजनिक उपक्रमों को मिली छूट
नई दिल्ली, 08 अप्रैल सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को परिचालित नहीं हो रहीं कोयला खदानें किसी जुर्माने के बगैर वापस करने के छूट के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
नई दिल्ली, 08 अप्रैल सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को परिचालित नहीं हो रहीं कोयला
खदानें किसी जुर्माने के बगैर वापस करने के छूट के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
कोयला मंत्रालय ने एक बयान में
कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की शुक्रवार को
हुई बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
बयान के मुताबिक, सीसीईए ने केंद्र एवं राज्य सरकारों के उपक्रमों को परिचालित नहीं हो रही खदानों को किसी
जुर्माने के बगैर लौटाने के कोयला मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है।
इसके लिए सार्वजनिक उपक्रमों को न
तो कोई कारण बताना होगा और न ही उनकी बैंक गारंटी जब्त की जाएगी।
यह सुविधा एकबारगी दी गयी है।
सरकार के इस फैसले से उन कोयला खदानों पर से सरकारी नियंत्रण खत्म हो जाएगा जिनका परिचालन करने में
सरकारी कंपनियां या तो इच्छुक नहीं हैं अथवा वे इनका विकास कर पाने की स्थिति में नहीं हैं।
इन खदानों को
लौटाने के बाद सरकार की मौजूदा नीलामी नीति के तहत बेचा जा सकता है।
कोयला मंत्रालय के मुताबिक, सरकारी कंपनियां यह फैसला लागू होने के तीन महीने के भीतर निष्क्रिय कोयला
खदानों को लौटा सकती हैं।
वर्ष 2014 में कोयला ब्लॉक का आवंटन निरस्त किए जाने के उच्चतम न्यायालय के
फैसले के बाद सरकार ने तापीय बिजली संयंत्रों को कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक उपक्रमों को
कई खदानें आवंटित कर दी थी।
इस व्यवस्था के तहत आवंटित की गई 73 कोयला खदानों में से 45 खदानों में अब तक परिचालन नहीं शुरू हो
पाया है और 19 खदानों में खनन कार्य शुरू होने की तय तारीख पहले ही बीत चुकी है।
इस देरी के लिए काफी हद
तक कानून-व्यवस्था और भूमि अधिग्रहण का विरोध जैसे कारण जिम्मेदार रहे हैं।
मंत्रालय ने कहा, ‘इस मंजूरी के तहत अच्छी गुणवत्ता वाले कोयला भंडारों को तकनीकी समस्याएं दूर कर फिर से
चालू किया जा सकता है। इस कोयले को हाल ही में स्वीकृत वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी नीति के तहत
इच्छुक पक्षों को सौंपा जा सकता है।
’ कोयला मंत्रालय ने कहा कि कोयला खदानों में जल्द परिचालन शुरू होने से
रोजगार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा और पिछले इलाकों में आर्थिक विकास को गति मिलेगी। इसके अलावा
कोयले के आयात में कटौती का रास्ता भी साफ होगा।